क्यों हुई आज फिर
चांदनी रात में बरसात
हैं ये चांद के आंसू
या रोई है रात
किसने कहा था फिजाओं से
तन्हाई की चादर बिछाने
देखो उदास हो कितना
रोया है चांद
ऐ हवा
चांदनी रात में बरसात
हैं ये चांद के आंसू
या रोई है रात
किसने कहा था फिजाओं से
तन्हाई की चादर बिछाने
देखो उदास हो कितना
रोया है चांद
ऐ हवा
चल जरा
करा तो दे
करा तो दे
अपने होने का अहसास
दे तसल्ली
दे तसल्ली
देख तो
कितनी भीगी है
कितनी भीगी है
यह रात।
1 comment:
bahut khubsurat
http://mehhekk.wordpress.com/
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