हमसे दामन छुड़ाकर
रख लेंगे तुम्हारी यादों को
तुमसे चुराकर
निगाहों में जब हमारी
दर्द का सैलाब उमड़ेगा
रो लेंगे किसी कोने में
हम सबसे नजरें बचाकर
जमाने को न दिखाएंगे
हम दिल के दाग कभी
तेरी खातिर रखेंगे लबों पे
हम तब्बसुम सजाकर
जिंदगी में गर फिर कभी
सामना तेरा हो जाएगा
निकल जाएंगे दूर कहीं
तुम्हारे आगे सर को झुकाकर ।
यह बात और कि शब्द और भावना युगों तक हर दिल में वही है मगर जब हर्फ़ सफ़्हों पर इतनी आसानी से आ जायें कि पढ़ने वाला मुग्ध हो जाये तो लिखने वाला कवि हो जाता है! कविता सचमुच अच्छी है!
ReplyDeletebadiya
ReplyDeleteOrmanjhi re,
ReplyDeleteachchi kavitaen likh rahi ho, maveshi se pata chala tum dilli aayi thi. khair tapaswi ko hello kahna. maveshi se mera no lekar phone karna. ho sake to holi pe ranchi aaunga. kavydhara bahate raho.
bahut sundar
ReplyDeleteचले जाओगे जब तुम भी
ReplyDeleteहमसे दामन छुड़ाकर
रख लेंगे तुम्हारी यादों को
तुमसे चुराकर
bhav purna
बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
rashmi jee,
ReplyDeletesaadar abhivaadan. mujhe lagtaa hai ki mohabbat ko jaanne wale jyaadaa achh likh paate hain. aapko padhnaa achha lagaa.
निगाहों में जब हमारी
ReplyDeleteदर्द का सैलाब उमड़ेगा
रो लेंगे किसी कोने में
हम सबसे नजरें बचाकर
बहुत खूब...........
बहुत खूबसूरत जज्बात .....
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