बहुत बढ़िया परिचय तुम्हारा - कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है, जिसे भरने की कोशिश कविता का आकार लेती है। जब-जब ऐसा होता है, खुद को तसल्ली होती है कि मैं जिंदा हूं।
वाह जैसा परिचय वैसी ही कुम्हलाई कविता। बहुत सुन्दर दिल को छू गई।
बहुत बढ़िया परिचय तुम्हारा - कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है, जिसे भरने की कोशिश कविता का आकार लेती है। जब-जब ऐसा होता है, खुद को तसल्ली होती है कि मैं जिंदा हूं।
वाह जैसा परिचय वैसी ही कुम्हलाई कविता। बहुत सुन्दर दिल को छू गई।
सरल शब्दों का सहज इस्तेमाल.. कविताएं मन को छू गईं। वरना आज तो कवियों ने कविता के नाम पर चुटकुलेबाजी शुरु कर दी है। कई कवि तो सहजता के नाम पर एसटीडी बिल पर कविताएं लिखते हैं। अच्छी कविताओं के लिए साधुवाद आगे से पढ़ता रहूंगा। पहली बार ब्लाग पर आया था।
नाम है रश्मि और करती हो धूप की शिकायत। कहती हो "कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है" और लिखती हो ऐसा कि मन भर-भर आता है। वैसे, इतनी खूबसूरत कविता पढ़ लेने के बाद भला कौन भूल सकता है तुम्हें। सचमुच बेहद प्यारी कविता। और अंत में : आज क्यों हिचकियां आईं दिले नाशाद मुझे शायद उस शोख ने भूले से किया याद मुझे पता नहीं किसकी पंक्ति है। कभी पढ़ा था याद रह गयी।
आप सबों का शुक्रिया। सचमुच इतनी उम्मीद नहीं थी अपनी इस छोटी सी कविता से। इसने मुझसे इतने भले लोगों को जोड़ा, इसके लिए मैं अपने उस पल का भी शुक्रिया अदा करना चाहूंगी जब यह कविता मुझमें फूटी। सचमुच एक बार फिर लग रहा है कि मेरे भीतर का खालीपन भरने लगा है। पर इस खालीपन को मैं और विस्तार दूंगी ताकि उसे भरने की कोशिश में खुद के जिंदा होने का अहसास कर सकूं।
rashmi jee,
ReplyDeletesaadar abhivaadan. sirf chand panktiyon mein apne sab kuchh , prem, dard, jindagee, aashaa, niraashaa aur bhee bahut kuchh udel kar rakh diya . dhanyavaad.
HAAN YAAD TO AYE HOGI...PAR INSAANI FITRAT HAI...DEKH KAR BHI ANJAAN BAN JANA......
ReplyDeleteGOOD POEM......
बहुत बढ़िया परिचय तुम्हारा - कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है, जिसे भरने की कोशिश कविता का आकार लेती है। जब-जब ऐसा होता है, खुद को तसल्ली होती है कि मैं जिंदा हूं।
ReplyDeleteवाह जैसा परिचय वैसी ही कुम्हलाई कविता। बहुत सुन्दर दिल को छू गई।
रमेश
बहुत बढ़िया परिचय तुम्हारा - कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है, जिसे भरने की कोशिश कविता का आकार लेती है। जब-जब ऐसा होता है, खुद को तसल्ली होती है कि मैं जिंदा हूं।
ReplyDeleteवाह जैसा परिचय वैसी ही कुम्हलाई कविता। बहुत सुन्दर दिल को छू गई।
रमेश
आपको पहली बार देख रहे हैं. स्वागत है.
ReplyDeleteसुंदर कविता और कोमल भाव...
सरल शब्दों का सहज इस्तेमाल.. कविताएं मन को छू गईं। वरना आज तो कवियों ने कविता के नाम पर चुटकुलेबाजी शुरु कर दी है। कई कवि तो सहजता के नाम पर एसटीडी बिल पर कविताएं लिखते हैं। अच्छी कविताओं के लिए साधुवाद आगे से पढ़ता रहूंगा। पहली बार ब्लाग पर आया था।
ReplyDeleteआप झारखंड से हैं, यह जानकर खुशी हुई। मैं भी झारखंड में देवघर से हूं, फिलहाल दिल्ली में दूरदर्शन की नौकरी बजा रहा हूं।
ReplyDeleteBeautiful.
ReplyDeleterashmi ji
ReplyDeletekripaya apana e mail dijiyega
sujata
Aapka pata aaj chala yaad kaisi aati, anyway jokes apart. bahut sundar bhav hain, chand line me hi bahut kuch kehte hue
ReplyDeleteसुन्दर भाव...
ReplyDeleteनाम है रश्मि और करती हो धूप की शिकायत। कहती हो "कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है" और लिखती हो ऐसा कि मन भर-भर आता है। वैसे, इतनी खूबसूरत कविता पढ़ लेने के बाद भला कौन भूल सकता है तुम्हें। सचमुच बेहद प्यारी कविता। और अंत में :
ReplyDeleteआज क्यों हिचकियां आईं दिले नाशाद मुझे
शायद उस शोख ने भूले से किया याद मुझे
पता नहीं किसकी पंक्ति है। कभी पढ़ा था याद रह गयी।
आप सबों का शुक्रिया। सचमुच इतनी उम्मीद नहीं थी अपनी इस छोटी सी कविता से। इसने मुझसे इतने भले लोगों को जोड़ा, इसके लिए मैं अपने उस पल का भी शुक्रिया अदा करना चाहूंगी जब यह कविता मुझमें फूटी। सचमुच एक बार फिर लग रहा है कि मेरे भीतर का खालीपन भरने लगा है। पर इस खालीपन को मैं और विस्तार दूंगी ताकि उसे भरने की कोशिश में खुद के जिंदा होने का अहसास कर सकूं।
ReplyDeleteसरल शब्दों के चमत्कार से मोहित कर देती हैं आप!
ReplyDeleteकोमल भाव लिये अच्छी लगी आपकी कविता ...बधाई
ReplyDeleteवाकई अद्भुत लगी पंक्तिया.......बिल्कुल जिन्दगी से जुड़ी जीवित पंक्तिया....साधुवाद.
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ...
ReplyDeleteबहुत सी रचनाएँ पढ़ी....
बहुत सुन्दर.........
आज से फोलो करती हूँ..
शुभकामनाएँ.