कैसे पिघलता है
स्पर्श से
सारा वजूद
कैसे लेती है
जन्म
पत्थरों में
नर्म दूब,
कैसे निकलती है
हृदय की
पुकार से
मन में गड़ी फांस
बहुत आसानी से
समझा इनको
क्योंकि
तुम्हारी छुवन ने
इनका मर्म
समझा दिया हमें।
स्पर्श से
सारा वजूद
कैसे लेती है
जन्म
पत्थरों में
नर्म दूब,
कैसे निकलती है
हृदय की
पुकार से
मन में गड़ी फांस
बहुत आसानी से
समझा इनको
क्योंकि
तुम्हारी छुवन ने
इनका मर्म
समझा दिया हमें।
बहुत सुंदर ।
ReplyDeletesundar bhaav....
ReplyDeletekhubsurat
ReplyDeleteजब मन में सिर्फ़ प्रेम हो कपट न हो, वह लम्स उम्रभर याद रहता है!
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