Friday, December 12, 2025

वक्‍त...



कहीं कोई एक झलक सी म‍िल जाती है
तेज हवा के झोंके सा
ज‍िंंदगी का पन्‍ना, यकायक पलटने लगता है

ठि‍ठकती हूं, देखती हूं उस वक्‍त को
जो जाने कब, कैसे 
गुजर गया, अपनी छाप छोड़कर 

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