Friday, April 6, 2018

नीली झील.....



नीला अम्‍बर, नीली झील
खोजती फि‍रती हूं
नीले दर्पण में
झांकती दो चंचल अंखि‍यां
उड़ रही 
यादों की बदलि‍यां
हि‍लता नहीं
झील का पानी
पार दुर्गम पहाड़ों के
नि‍कल गया कोई गांव-शहर
पहाड़, समुंदर, रेगि‍स्‍तान
जाने कहां-कहां

3 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, होनहार विद्यार्थी की ब्रांड लॉयल्टी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  2. सुंदर शब्दचित्र

    ReplyDelete

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।