Thursday, October 31, 2013

ईश्‍वर के आगे मन खोलना....


वक्‍त भी
बंध जाता है
उन वादों के साथ
जो कोई
इस खाति‍र 

पहले लेता है
कि वक्‍त
हमेशा अपना नहीं होता
और वादे
यकीन के डोर हैं
इसलि‍ए
उस वक्‍त का अलवि‍दा
आधी रात के चांद का डूबना है
और तुमसे कुछ कहना
ईश्‍वर के आगे मन खोलना है
अब
वक्‍त, वादे और ईश्‍वर से तुम
मैं नतमस्‍तक
देखो...ध्रुव तारे का भी वक्‍त हुआ
वि‍दा...अलवि‍दा.....


तस्‍वीर--साभार गूगल 

5 comments:

यशवन्त माथुर (Yashwant Raj Bali Mathur) said...

दीप पर्व आपको सपरिवार शुभ हो!
कल 02/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

kuldeep thakur said...


सुंदर...दिवाली की शुभकामनाएं...


धरा मानव से कह रही है...
दोनों ओर प्रेम पलता है...

मेरा मन पंछी सा said...

सुन्दर रचना..
दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएँ
:-)

vandan gupta said...

सुन्दर प्रस्तुति………

काश
जला पाती एक दीप ऐसा
जो सबका विवेक हो जाता रौशन
और
सार्थकता पा जाता दीपोत्सव

दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो ……

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति ,,,
दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ ।।
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