Friday, August 16, 2013

चांद का माथा....


दूर आकाश में
दूधि‍या चांद को देख
कहती हूं
बहुत ही 
खूबसूरत हो तुम
और 

झुककर
चूम लेती हूं
अपने
चांद का माथा
ये मेरा चांद
उससे ज्‍यादा 
है खूबसूरत
जो मेरी बाजुओं में
सर रखकर
हर रात
चैन से सोता है.......



तस्‍वीर....साईकि‍ल चलाते अभि‍रूप 

9 comments:

देवेन्द्र पाण्डेय said...

चाँद के मुखड़े से झर रही है चाँदनी।..खूबसूरत।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर ,,

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,

RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

Ankur Jain said...

संक्षिप्त सुंदर कविता।।।

हरीश जयपाल माली said...

हमारी दुआ है 'इस चाँद' की चाँदनी पहुंचेगी 'उस चाँद' तक ...सुन्दर प्रस्तुति !

हरीश जयपाल माली said...

हमारी दुआ है 'इस चाँद' की चाँदनी पहुंचेगी 'उस चाँद' तक ...सुन्दर प्रस्तुति !

Unknown said...

nice line ji

Unknown said...

nice line ji

Unknown said...

nice line ji

Unknown said...

achha likha