नहीं देखना चाहिए बार-बार
उस डाल की तरफ
जहां से आपकी प्यारी चिड़ियां ने
अभी-अभी उड़ान भरी हो
ये एक ऐसा दुख होता है
जिसे आप व्यक्त नहीं कर सकते
क्योंकि आपको भी नहीं पता
कि आप चाहते क्या हैं
आंखों को भाने वाली हर शै
अपनी हो...मुमकिन नहीं
और चिड़ियां को पिंजरे में रखने से
वो गाना भूल जाती है, जो आपको बेहद पसंद है
* * * * * * * * * * *
कहती हूं इसलिए कि तुम
गौरैया बनते, फ़ाख्ता बनते
एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते
जानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
जिसे शुभ होता है देखना....मगर कभी दिखते ही नहीं....
तस्वीर--साभार गूगल
उस डाल की तरफ
जहां से आपकी प्यारी चिड़ियां ने
अभी-अभी उड़ान भरी हो
ये एक ऐसा दुख होता है
जिसे आप व्यक्त नहीं कर सकते
क्योंकि आपको भी नहीं पता
कि आप चाहते क्या हैं
आंखों को भाने वाली हर शै
अपनी हो...मुमकिन नहीं
और चिड़ियां को पिंजरे में रखने से
वो गाना भूल जाती है, जो आपको बेहद पसंद है
* * * * * * * * * * *
कहती हूं इसलिए कि तुम
गौरैया बनते, फ़ाख्ता बनते
एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते
जानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
जिसे शुभ होता है देखना....मगर कभी दिखते ही नहीं....
तस्वीर--साभार गूगल

आंखों को भाने वाली हर शै
ReplyDeleteअपनी हो...मुमकिन नहीं
सच बिलकुल सच , कैसा होता तब अहसास ,मन भी हो जाता है कितना उदास ,अच्छी भावप्रद रचना
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (16-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
behatareen आंखों को भाने वाली हर शै
ReplyDeleteअपनी हो...मुमकिन
* * * * * * * * * * *
कहती हूं इसलिए कि तुम
गौरैया बनते, फ़ाख्ता बनते
एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते
जानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
जिसे शुभ होता है देखना....मगर कभी दिखते ही नहीं....
Waah...Bahut Sunder
ReplyDeleteतू दरिया की माफिक उमड़ता रहा ,
ReplyDeleteमैं लहरों से दामन को भरती रही !
तू फलक के नज़ारों में गुम था कहीं ,
मैं शब भर सितारों को गिनती रही
बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल,
कहती हूं इसलिए कि तुम
ReplyDeleteगौरैया बनते, फ़ाख्ता बनते
एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते..waah......
मगर कभी दिखते ही नहीं....
ReplyDelete--------------------------
एहसास तो अन्दर टूटता-बिखरता है .... बढ़िया लिखती हैं आप ..आज पहली बार आया आपके ब्लॉग पर ...
sundar sachche bhav..
ReplyDeleteनहीं देखना चाहिए बार-बार
ReplyDeleteउस डाल की तरफ
जहां से आपकी प्यारी चिड़ियां ने
अभी-अभी उड़ान भरी हो
very nice .
नहीं देखना चाहिए बार-बार
ReplyDeleteउस डाल की तरफ
जहां से आपकी प्यारी चिड़ियां ने
अभी-अभी उड़ान भरी हो
...वाह! बहुत सुन्दर...
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteसाभार........
viyog to kast kari hota hi hai.sundar
ReplyDeletekhoobshurat ahshas
ReplyDeleteउड़ जाने वालों का इन्तजार !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव की प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteमंत्र मुग्ध करती रचनाएँ
ReplyDeletebahut sundar bhavabhivyakti..
ReplyDeleteदिल को छोने वाली एक अच्छी रचना ..सादर बधाई
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति, आप भी मेरेr ब्लॉग का अनुशरण करें ख़ुशी होगी
ReplyDeletelatest postऋण उतार!
ReplyDeleteजानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
जिसे शुभ होता है देखना....मगर कभी दिखते ही नहीं....
बड़ा कठिन होता है इंतजार ,
वो गाना भूल जाती है, जो आपको बेहद पसंद है
ReplyDelete* * * * * * * * * * *
कहती हूं इसलिए कि तुम
गौरैया बनते, फ़ाख्ता बनते
एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते
जानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
जिसे शुभ होता है देखना....मगर कभी दिखते ही नहीं....वाह वाह !!