Friday, March 15, 2013

नीलकंठ......

नहीं देखना चाहि‍ए बार-बार
उस डाल की तरफ
जहां से आपकी प्‍यारी चि‍ड़ि‍यां ने
अभी-अभी उड़ान भरी हो

ये एक ऐसा दुख होता है
जि‍से आप व्‍यक्‍त नहीं कर सकते
क्‍योंकि आपको भी नहीं पता
कि‍ आप चाहते क्‍या हैं

आंखों को भाने वाली हर शै
अपनी हो...मुमकि‍न नहीं
और चि‍ड़ि‍यां को पिंजरे में रखने से
वो गाना भूल जाती है, जो आपको बेहद पसंद है

* * * * * * * * * * *

कहती हूं इसलि‍ए कि‍ तुम
गौरैया बनते, फ़ाख्‍ता बनते
एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते

जानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
जि‍से शुभ होता है देखना....मगर कभी दि‍खते ही नहीं....


तस्‍वीर--साभार गूगल

21 comments:

  1. आंखों को भाने वाली हर शै
    अपनी हो...मुमकि‍न नहीं

    सच बिलकुल सच , कैसा होता तब अहसास ,मन भी हो जाता है कितना उदास ,अच्छी भावप्रद रचना

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (16-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  3. behatareen आंखों को भाने वाली हर शै
    अपनी हो...मुमकि‍न

    * * * * * * * * * * *
    कहती हूं इसलि‍ए कि‍ तुम
    गौरैया बनते, फ़ाख्‍ता बनते
    एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
    सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते

    जानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
    जि‍से शुभ होता है देखना....मगर कभी दि‍खते ही नहीं....

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  4. तू दरिया की माफिक उमड़ता रहा ,
    मैं लहरों से दामन को भरती रही !

    तू फलक के नज़ारों में गुम था कहीं ,
    मैं शब भर सितारों को गिनती रही
    बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल,

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  5. कहती हूं इसलि‍ए कि‍ तुम
    गौरैया बनते, फ़ाख्‍ता बनते
    एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
    सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते..waah......

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  6. मगर कभी दि‍खते ही नहीं....
    --------------------------
    एहसास तो अन्दर टूटता-बिखरता है .... बढ़िया लिखती हैं आप ..आज पहली बार आया आपके ब्लॉग पर ...

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  7. नहीं देखना चाहि‍ए बार-बार
    उस डाल की तरफ
    जहां से आपकी प्‍यारी चि‍ड़ि‍यां ने
    अभी-अभी उड़ान भरी हो
    very nice .

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  8. नहीं देखना चाहि‍ए बार-बार
    उस डाल की तरफ
    जहां से आपकी प्‍यारी चि‍ड़ि‍यां ने
    अभी-अभी उड़ान भरी हो

    ...वाह! बहुत सुन्दर...

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  9. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति .....
    साभार........

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  10. उड़ जाने वालों का इन्तजार !

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  11. बहुत ही सुन्दर भाव की प्रस्तुति,आभार.

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  12. मंत्र मुग्ध करती रचनाएँ

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  13. दिल को छोने वाली एक अच्छी रचना ..सादर बधाई

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  14. उम्दा प्रस्तुति, आप भी मेरेr ब्लॉग का अनुशरण करें ख़ुशी होगी
    latest postऋण उतार!

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  15. जानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
    जि‍से शुभ होता है देखना....मगर कभी दि‍खते ही नहीं....

    बड़ा कठिन होता है इंतजार ,

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  16. वो गाना भूल जाती है, जो आपको बेहद पसंद है

    * * * * * * * * * * *

    कहती हूं इसलि‍ए कि‍ तुम
    गौरैया बनते, फ़ाख्‍ता बनते
    एक बार तो मेरी छत पर उतरते, या
    सामने वाले पीपल की डाल पर फुदकते

    जानां.......मगर तुम तो नीलकंठ बन गए
    जि‍से शुभ होता है देखना....मगर कभी दि‍खते ही नहीं....वाह वाह !!

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