Sunday, February 17, 2013

छुप गया बसंत रंग धानी....



गरजता रहा बादल
बरसती रही बूंदे
रात भर

सुबह ने
ओढ ली मेरी
वाली उदासी

कैद में है अब
बेगुनाह बसंत
चल रही ठंडी हवा
सर्र...सर्र..सर्र

ये मौसम भी हुआ
पि‍या जैसा बेईमान
करेगा मनमानी

है सब तरफ
सफ़ेद धुंआं
कहां छुप गया बसंत रंग धानी......

तस्‍वीर--सुबह छत पर बारि‍श का मजा लेते अभिरुप

5 comments:

Anupama Tripathi said...

bahut sundar ....

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति आदरेया -
शुभकामनायें ||

यशवन्त माथुर (Yashwant Raj Bali Mathur) said...

बेहतरीन


सादर

Unknown said...

sundar

Aditi Poonam said...

बहुत सुंदर सटीक अभिव्यक्ति........
साभार