गरजता रहा बादल
बरसती रही बूंदे
रात भर
सुबह ने
ओढ ली मेरी
वाली उदासी
कैद में है अब
बेगुनाह बसंत
चल रही ठंडी हवा
सर्र...सर्र..सर्र
ये मौसम भी हुआ
पिया जैसा बेईमान
करेगा मनमानी
है सब तरफ
सफ़ेद धुंआं
कहां छुप गया बसंत रंग धानी......
तस्वीर--सुबह छत पर बारिश का मजा लेते अभिरुप
5 comments:
bahut sundar ....
सुन्दर प्रस्तुति आदरेया -
शुभकामनायें ||
बेहतरीन
सादर
sundar
बहुत सुंदर सटीक अभिव्यक्ति........
साभार
Post a Comment