Friday, February 15, 2013
प्रेम हो गया...
मीर ने कहा....
इश्क़ एक मीर भारी पत्थर है
कब ये तुझ नातवाँ से उठा है
और मैं इश्क़ के बोझ से दोहरी हो गर्इ
ग़ालिब ने कहा....
ये इश्क नहीं आसाँ, बस इतना समझ लीजै
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
और मैं दरिये में कूद पड़ी....
कबीर ने कहा...
प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाय
राजा प्रजा जेहि रुचे, सीस देई लै जाय
और मैंने अपना शीश झुका दिया...
गौतम बुद्ध ने कहा ....
प्रेम ही जीवन है
और मुझे गौतम बुद्ध से प्रेम हो गया....
अब वो कहता है....
मैं आसमान हूं, बादल हूं, पहाड़ हूं
सभी को प्रेम है मुझसे
और मुझे उसके साथ-साथ सबसे प्रेम हो गया...
तस्वीर--साभार गूगल
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9 comments:
सार्थक .....और सुंदर ।!!
बहुत सुन्दर रचना | आभार |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
प्रेम के रास्ते उसके रंग में रंगते जाना समर्पण है प्रेम के प्रति ...
sundar,sarthak,bhavpurn prastuti,
बढ़िया है -
शुभकामनायें-
बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.
समय के साथ साथ सबकी प्रेम की अपनी सुंदर अभिव्यक्ति,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
प्रेम की पुर्ण अभिव्यक्ति, आभार
कोमल भावो की अभिवयक्ति......
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