Tuesday, February 12, 2013

(हग डे)......गले लग जा



अंगड़ाई लेती है सुबह
मगर
रात ने छीन लि‍या कुछ

कहां से लाउं
करार औ सुकून के लम्‍हें

कि बरसों का इंतजार
खत्‍म होकर भी
याद तड़प की
दि‍ला जाता है

कि सदि‍यों की दूरी
पलों में पाटी नहीं जाती....

जहां हो...मेरे हो
गले लगकर ये यकीं तो दि‍ला दो.....

तस्‍वीर--साभार गूगल

11 comments:

रविकर said...

गजब आदरेया-
वेलेंटाइन वीक का आज तक का लेखा जोखा -
मतलब सारांश-

रोज रोज के चोचले, रोज दिया उस रोज |
रोमांचित विनिमय हुआ, होती पूरी खोज |
होती पूरी खोज, छुई उंगलियां परस्पर |
चाकलेट का स्वाद, तृप्त कर जाता अन्तर |
वायदा कारोबार, आज तो हद हो जाती |
हो आलिंगन बद्ध, बसन्ती ऋतु मदमाती ||

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुब्दर प्रस्तुति.

Dr.NISHA MAHARANA said...

sahi bat kahi rashmi jee sadiyon ki duri pal men nahi pat sakti .....

दिगम्बर नासवा said...

सदियों की दूरी पाटने के लिए ... एक ही हग काफी है ... बहुत खूब ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वायदा कारोबार, आज तो हद हो जाती |
हो आलिंगन बद्ध, बसन्ती ऋतु मदमाती ||


टिप्पणी के लिए रविकर जी ये पंक्तिया मुझे सटीक लगी,,,

RECENT POST... नवगीत,

Unknown said...

wahhh....कि सदि‍यों की दूरी
पलों में पाटी नहीं जाती....
http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html

dr.mahendrag said...

कि बरसों का इंतजार
खत्‍म होकर भी
याद तड़प की
दि‍ला जाता है

कि सदि‍यों की दूरी
पलों में पाटी नहीं जाती....
Sundar rachna

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुंदर प्रस्तुति

Unknown said...

जहां हो...मेरे हो
गले लगकर ये यकीं तो दि‍ला दो...वाह!
बेचैनी की वजह तो बस प्यार की तड़प और इसे मिटाये बस गले लगा के

संबंधो और प्यार की मधुरता शब्दों के मधु में वाह !

Aditi Poonam said...

बहुत सुंदर भाव


डॉ एल के शर्मा said...

जहां हो...मेरे हो
गले लगकर ये यकीं तो दि‍ला दो.....
वाह !!