रात के अंधेरे में हो रही बारिश की आवाजें हैं!
अभी एक और आवाज की स्मृति शामिल है इसमें
दूर फैले पहाड़ों पर होती हुई बारिश देखने
दो और आँखें कभी शामिल थीं
पत्तों से छनकर आती बूंदों की आवाजें सुनो-
कहा था उसी ने
जिसके होने से मौसम थे सारे
जिसने उनके भीतर जीना सिखाया,
भीगना सिखाया जिसने आवाजों के भीतर
उसी ने पूछा है आज मन के मौसम का हाल ?
होती हुई बारिश के बीच, ऐसी स्मृति एक यातना है !
सुन्दर
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteआप सभी को धन्यवाद
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