Thursday, May 30, 2024

जलते हुए पेड़



कल रात घुमावदार घाटी
पार करते हुए,नीचे एक पुराने लंबे वृक्ष को
जलते देखना,
कितना विचलित कर देने वाला अनुभव था!
जैसे कोई दैत्य अट्टहास करता हुआ
अपनी भुजाएं फैलाए !

मई की इस गर्मी में जल रहे हैं
छोटानागपुर के ये पहाड़ भी,
दहशत से भरे जानवर गांवों की ओर भाग रहे हैं
ताप से सहमी है चिड़ियाँ
हरे जंगलों के बीच आग देखना 
जैसे सामने हो रही हिंसा को देखना है

ओह! अब कोई नहीं कहता
जंगल की आग देखकर कि
ऐसे तो सब खत्म हो जाएगा एक दिन!

कोई नहीं कहता कि यह कैसे बुझेगी!
पहले भी लगती थी आग इन जंगलों में
सब दौड़ते थे पानी से भरी बाल्टियाँ लेकर
ऐसा कहते हैं पुराने लोग

देखती हूं घाटियों में लोग खड़ी करते हैं अपनी गाड़ियां
उनके मोबाइल के कैमरे चमक उठते हैं
जलते हुए पेड़ों और पहाड़ों की तस्वीरें लेकर
लौटते हैं सैलानी अपने घरों को

मैं जगी रहती हूं
बचपन में देखे गए हरे जंगल की याद में , और...
मेरी नींद में खलल डालते आते रहते हैं जलते हुए पेड़!