उसके जाने के
बहुत बाद समझ आया
कि प्यार तो
सिर्फ़ मुझे हुआ था
वह तो बस साथ चल रहा था
एक खूबसूरत सफर मानकर
कि जब जहां मन उकताए
रूक जाना या राह बदल लेना है ...
मगर यह बात
उसके होते समझ नहीं आई
जब समझी हूं
तो बीता एक-एक पल
चलचत्रि की भांति आंखों से
गुजर रहा
और चीख-चीख कर कह रहा
जो था हमारे दरमियान
मेरी जिद, मेरा इंतजार, मेरा प्यार
वह तो बस, वक्त गुजार रहा था।
7 comments:
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९-१२ -२०२१) को
'सादर श्रद्धांजलि!'(चर्चा अंक-४२७३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९-१२ -२०२१) को
'सादर श्रद्धांजलि!'(चर्चा अंक-४२७३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह
बहुत सुन्दर
प्यार में दिखाई ही कहाँ देता है और समझ तो बिल्कुल भी नहीं आता फिर हर बात का वही अर्थ निकलता है जो प्रेमी दिल चाहता है.....।
वाह!!!
लाजवाब।
मार्मिक सृजन,सादर नमस्कार रश्मि जी
प्यार में दिखाई ही कहाँ देता है और समझ तो बिल्कुल भी नहीं आता फिर हर बात का वही अर्थ निकलता है जो प्रेमी दिल चाहता है.....।
वाह!!!
लाजवाब।
Post a Comment