रास्ते से गुज़रते हुए अचानक नज़र पड़ी कि कुछ लोग हैं और दो युवती पेड़ के तने को पकड़ लिपटी हुई है।दूर से देख कर समझ नहीं आया तो पास गयी...
वहाँ पूजा चल रही थी। कुसुम के पेड़ से लिपटी हुई युवतियाँ सरना माता के आदेश से निश्चल खड़ी थीं।पता चला कहीं पूजा कर रहे हैं पुजारी।वो नहीं आते तब तक उन्हें ऐसे ही रहना है।लगा, कितना कुछ है झारखंड की संस्कृति में जिसे जानना अभी बाक़ी है ।
2 comments:
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०१-२०२१) को 'कुछ देर ठहर के देखेंगे ' (चर्चा अंक-३९४१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०१-२०२१) को 'कुछ देर ठहर के देखेंगे ' (चर्चा अंक-३९४१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
Post a Comment