Saturday, May 2, 2020

कोई रंग....



स्मृतियों में बसी होती है 
कोई सुगंध, कोई रंग
गुज़र कर भी कहाँ
गु
जरता है सब कुछ जीवन से.....

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सार्थक और सुन्दर

Onkar said...

सुन्दर पंक्तियाँ