रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
बहुत सुंदर।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.4.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3687 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।धन्यवाददिलबागसिंह विर्क
सुन्दर रचना
सुन्दर विम्बों से गोधूलि बेला को स्मृतियों में बसाती बेहतरीन प्रस्तुति !--ब्रजेन्द्र नाथ
बहुत ही सुंदर सृजन सादर
सुन्दर क्षणिकाएँ
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बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.4.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3687 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर विम्बों से गोधूलि बेला को स्मृतियों में बसाती बेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDelete--ब्रजेन्द्र नाथ
बहुत ही सुंदर सृजन
ReplyDeleteसादर
सुन्दर क्षणिकाएँ
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