Tuesday, April 28, 2020

समय ...


समय यह
कठिन है भी तो क्या
फिर बैठूँगी
शिरीष, एक दिन
तुम्हारी छाँव तले

4 comments:

  1. कोई इतने कम शब्दों में इतनी व‍िशालता कैसे ला सकता है ... आपने ऐसा ही क‍िया.. क्या खूब ल‍िखा है रश्म‍ि जी

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  2. सच हर समय एक सा नहीं रहता

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  3. बहुत धन्‍यवाद आपका..

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को   "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं"  (चर्चा अंक-3686)     पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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