शिव को प्रिय है चम्पा...मगर नारद के श्राप के कारण उन्हें अर्पित नहीं किया जाता ...
किवंदती है कि एक बार नारद को पता चला कि एक ब्राह्मण ने अपनी बुरी इच्छाओं की पूर्ति के लिए चम्पा के फूल तोड़े हैं। उन्होंने जब चम्पा के वृक्ष से पूछा कि क्या किसी ने उसके पुष्पों को तोड़ा है, तो चम्पा के वृक्ष ने इनकार कर दिया।
इसके पश्चात् नारद मुनि ने पास के शिव मंदिर में पाया कि शिवलिंग चम्पा के फूलों से ढका है।
वह ब्राह्मण शिव पूजा करके शक्तिशाली राजा बनकर अत्याचार करने लगा। नारद को क्रोध आया कि भगवान ने ऐसे पापी की इच्छा क्यूँ पूर्ण की।
शिव जी से पूछने पर उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति चम्पा के फूलों से मेरी पूजा करता है, मैं उसकी मनोकामना पूर्ण करता हूँ।तब नारद जी ने चम्पा के वृक्ष को श्राप दिया कि अब कभी भी भगवान शिव अपने पूजन में चम्पा के फूल स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि वृक्ष ने उन्हें झूठ बोलकर गुमराह किया है।
तब से चम्पा का फूल शिव को अर्पित नाहीं किया जाता।
3 comments:
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(18-02-2020 ) को " करना मत कुहराम " (चर्चाअंक -3629) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
कमाल की रोचक जानकारी दी आपने जी हमें तो पता नहीं था ये सब | वाह
किंवदंती,पर रोचक ।
वाह!
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