Friday, August 9, 2019

मुझको ही ढूँढा करोगे..


बेसबब आवारा
आख़िर कब तक फिरोगे
हुई शाम जो
घर को ही लौटोगे !

जागी रातों की
तन्हाइयों का हिसाब
अब किसे देना
है किससे लेना ?


दिल की रखो
अपने ही दिल में
कह गये तो देखना
फिर एक बार फँसोगे !

इतनी सी बात पे जो गये
उसे आवाज क्यों देना
कर लो किसी से भी मोहब्बत
उसमें मुझको ही ढूँढा करोगे...।

5 comments:

अनीता सैनी said...

जी नमस्ते,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-08-2019) को " मुझको ही ढूँढा करोगे " (चर्चा अंक- 3424) पर भी होगी।


--

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है

….

अनीता सैनी

कविता रावत said...

बहुत खूब!

Sweta sinha said...

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।

Sudha Devrani said...

बहुत ही लाजवाब सृजन...।

Subodh Sinha said...

दिल की रखो
अपने ही दिल में
कह गये तो देखना
फिर एक बार फँसोगे ! ...भावनाओं का शह- मात ...