Sunday, July 14, 2019

एकांत...


टुकड़ों में नींद
मुट्ठी भर याद
कुछ अधूरी सी बात
और बेहिसाब एकांत
चलो कर लूं आज
यादों की जुगाली
कि
जिंदगी में हर दरवाजा
आगे की ओर नहीं खुलता....

4 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर
    सादर

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  2. बहुत सुंदर रचना

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  3. सही कहा रश्म‍ि जी , जिंदगी में हर दरवाजा
    आगे की ओर नहीं खुलता.... बहुत खूब

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