रूप-अरूप
रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Monday, July 1, 2019
यादों की कतरनों में .....
जाते-जाते
कहीं ठहर जाते हो
जैसे
पत्तियों में छुपी
बारिश की कांपती कोई बूँद
दूर किसी
घर के कोने में
बजती कोई पहचानी सी धुन
यादों की कतरनों में
झिलमिलाता है
बार-बार एक चेहरा
जाते-जाते
रुक जाने से
कितना कुछ ठहर जाता है ....
1 comment:
yashoda Agrawal
said...
बेहतरीन...
सादर...
Monday, July 01, 2019 1:29:00 PM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
बेहतरीन...
सादर...
Post a Comment