Thursday, June 6, 2019

' प्रेम'



सोचा था एक दि‍न 
मुट्ठि‍यों में कसकर 
रख लूंगी 'प्रेम' 

नि‍कल भागा 
ऊंगलि‍यों की दरार से 
रेत, पानी, हवा की तरह 

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