कितनी बार कहा था उसने...नहीं जी पाऊंगा तुम बिन... कि तुम बिन जीवन मौत बराबर है। मैंने भी कही थी यह बात..उसके सैकड़ों बार के जवाब में एक बार तो जरूर...
मगर जी रहे हैं न..बेशर्मों की तरह ...यह अलग बात है कि जीने के लिए रोज साधन जुटाने पड़ रहे हैं। कभी प्रार्थना, कभी दवा तो कभी खुद की ही क्लास लगानी पड़ती है। मगर वादा था, मुस्कान साथ नहीं छोड़ने का...सो बरकरार है।
वो जब याद आए....बहुत याद आए..
कुछ बीती यादें मीठी होने के बाद भी दिल में हूक उठाती हैं। कुछ तस्वीरों में वक्त ठहरा हुआ है।
2 comments:
अति सुंदर लेख
बहुत सुन्दर
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