पिछले दिनों जब हम उज्जैन की यात्रा पर थे, तो महाकाल के दर्शन के बाद आसपास के सभी प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन के क्रम में कुसुमेश्वर मंदिर पहुंचे। देर शाम हो गई थी, मगर इस मंदिर के बारे में एक अद्भुत जानकारी मिली थी, इसलिए देर ही सही, दर्शन के लिए पहुंचे हम।
मंदिर परिसर में सन्नाटा था। आसपास मिट्टी के कुछ दीये जले थे। मंदिर का द्वार भी बंद हो गया था, मगर अंदर दर्शन संभव हो गया। वहां भी दीप का उजाला फैला हुआ था और फूलों से श्रृंगार किए महादेव थे। पीछे दीवार पर शिव-पार्वती की युगल मूर्ति थी और उस पर सफेद-लाल फूलों की माला अर्पित की गई थी। मैं कई शिव मंदिर गई हूं, मगर ऐसी मूर्ति कहीं प्रतिष्ठित नहीं देखी आज तक।
कहा जाता है कि महाकाल वन में कैलाश से शिव-पार्वती रमण करने आए । इसी स्थान पर दोनों के नेत्र मिले और भीषण आवाज के साथ एक अलौकिक ज्योतिपुंज प्रकाश उत्पन्न हुआ। इसलिए इसे रमणस्थल माना गया है, और प्रतीक स्वरूप युगल जोड़ी की प्रतिमा भी स्थापित है।
इसी जानकारी का आकर्षण मुझे वहां खींच ले गया था। शांत वातावरण और दीये की रौशनी एक रहस्यमय वातावरण उत्पन्न कर रहे थे। आसपास कई फूलों के वृक्ष थे जिससे वातावरण सुगंधित हो गया था। तभी एक महिला आई, जो वहां देखभाल करती है। उसने बताया कि दिन में यह परिसर बहुत खूबसूरत लगता है। वहां अन्य देवताओं के भी मंदिर थे।
महाकाल वन में शिव-पार्वती फिर एक बार आएं। वहां गणेश अन्य बालकों के साथ खेल रहे थे। सभी बालक गणेश के ऊपर पुष्प की वर्षा कर रहे थे। यह देखकर माता पार्वती के मन में ममता जागृत हुई और उन्होंने भगवान शिव से पुत्र की कामना की। शिव ने कहा कि उस बालक को पुत्र के रूप में उन्हें देते हैं।
माता पार्वती ने अपनी सखी विजया से उस आश्चर्य और नयनों को आनंदित करने वाले बालक को बुलवाया और उसे पुष्प से श्रृंगारित किया। भगवान शिव ने उस बालक का नाम 'कुसमेश्
वर' रखा।
तब माता पार्वती ने वर मांगा कि यह आपके समान हो तो सभी के द्वारा पुजित हो। तब शिव ने आर्शीवाद दिया कि यह प्रथमेश्वर होंगे और विभिन्न प्रकार के फूलों से पूजन-श्रृंगार करने से पाप नष्ट होगा और मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
अत: यहां इनका श्रृंगार विभिन्न फूलों और बेलपत्र से किया जाता है और वरदानस्वरूप कुसुमेश्वर शिवलिंग के रूप मे महाकाल वन में स्थापित हुए।
हमने इतनी जानकारी वहां के पुजारी से प्राप्त की। हम पूजन तो नहीं कर पाए, मगर दर्शन का पुण्य लेकर चले आएं।
ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को महाशिवरात्रि पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/03/2019 की बुलेटिन, " महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुंदर जानकारी युक्त आलेख।
ReplyDeleteजय महाकाल ।
रोचक जानकारी
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