Wednesday, October 24, 2018

शरद पूर्णिमा.....



शरद पूर्णिमा की रात है। धवल..उज्जवल चाँद खिला है आकाश में । लड़की एकटक देखे जा रही चाँद की तरफ़....ख़ुश है। उसका चेहरा भी चमक रहा चाँद की तरह...

लड़का पास आता है।दोनों हाथ थामे चाँद देखते है...लगातार..।”हमारा जीवन ऐसा ही हो. ये कामना है। सब कुछ उजला...कोई दाग़ न कहीं....।” लड़की स्वप्निल सी आवाज़ में कहती है। प्यार से डूब कर लड़के की तरफ़ देखती है...

लड़के के चेहरे पर असमंजस का भाव है। कहता है ...
“कुछ है जो गोपन है अब तक “

“कह दो सब ...आज जितना कुछ है...सब सुन कर भूल जाऊँगी। हमारा रिश्ता बेदाग़ होना चाहिए।”

“आज नहीं...फिर कभी”

“आज ही...आज क्यों नहीं ...”लड़की हठ करती है...”हमारे बीच सब पारदर्शी होना चाहिए....”

लड़का फिर कहता है....”आज चाँद के साथ रहो..मेरे साथ रहो..”

लड़की की ज़िद शिखर पर....”जो नहीं कहो आज तो मेरा मरा मुँह देखो”

पीड़ा भरी आँखें..छलकी आँखें ...चाँद पर टिकी हैं। मान से भरी लड़की को लगता है ...इससे बड़ी बात कोई हो ही नहीं सकती।जानती है , बहुत प्यार करता है वो ..इसे सुनकर वो कुछ भी नहीं छुपा पाएगा....

कुछ देर सन्नाटा खिंचा रहता है ...मुड़कर देखती है वो ...नहीं है उसके पास कोई ...उसका साथी....
झर-झर आँसू बहने लगे ....चाँद को साक्षी रख कहा ...”जब मरूँ तो ही उससे सामना हो अब”

चाँद रोने लगा ..शीत झरने लगी...कुहासे की परत ने चाँद को ढक दिया...जैसे उदासी छा गयी सब ओर ..।

आज फिर शरद का पूरा चाँद खिला है आकाश में ....चौदह कलाओं वाला चाँद आसमान की तश्तरी पर टिका है ...हरसिंगार भी गमक रहे ..

लड़की हर शरद पूर्णिमा की रात मौत की दुआ माँगती है .....बेबस पूनो का चाँद अपनी पूरी चाँदनी फैला कर ढूँढता है धरती में उनको....

जो प्रेम में तो होते हैं मगर एक क़सम तक नहीं निभा पाते। 

3 comments:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25.10.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3135 में दिया जाएगा

हार्दिक धन्यवाद

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व पोलियो दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Unknown said...

Good job sir .
veerusahab2017.blogspot.com
gyanvigyan2018.blogspot.com