ये तुम्हारे चले जाने के बाद की बात है
लोग लेते हैं जैसे
बारिश का मौसम बीतने के बाद
बरसात का जायज़ा
लगाते हैं हिसाब कि किस जिले में
पड़ा है सुखाड़
कहाँ उतरा है नादियों का पानी खेत में
कहाँ कैसी है दरकार
जोड़-तोड़ कर करते हैं सरकार से
मुआवज़े की माँग
लोग लेते हैं जैसे
बारिश का मौसम बीतने के बाद
बरसात का जायज़ा
लगाते हैं हिसाब कि किस जिले में
पड़ा है सुखाड़
कहाँ उतरा है नादियों का पानी खेत में
कहाँ कैसी है दरकार
जोड़-तोड़ कर करते हैं सरकार से
मुआवज़े की माँग
ऐसे ही तुम्हारे जाने के बाद
बड़ी कड़ाई से लेती हूँ
अपने दिल का हिसाब
किन बातों पर यह पिघलता है
और किन बातों से प्यार मरता है बार-बार
कब मजबूर होकर देती हूँ
तुमको आवाज़
कब चाहती हूँ लौटा लाना अपने पास
और बीते दिनों के खोए एहसासों का
मुआवजा भरना चाहती हूँ
बड़ी कड़ाई से लेती हूँ
अपने दिल का हिसाब
किन बातों पर यह पिघलता है
और किन बातों से प्यार मरता है बार-बार
कब मजबूर होकर देती हूँ
तुमको आवाज़
कब चाहती हूँ लौटा लाना अपने पास
और बीते दिनों के खोए एहसासों का
मुआवजा भरना चाहती हूँ
पर लगता है अब
ये दिल भी दफ़्तरी हो गया है
भावनाएँ सरकारी माल की तरह
आधा देना चाहता है
और चाहता है
आधा दबा लेना ख़ुद के पास
फिर एहसान भी जताना चाहता है इसका
कि उम्मीद से अधिक दिया जा चुका तुमको
जो है, जितना है लो और दस्तखत करो बस
कि मौसम और मन का ठिकाना नहीं कब बदल जाए।
ये दिल भी दफ़्तरी हो गया है
भावनाएँ सरकारी माल की तरह
आधा देना चाहता है
और चाहता है
आधा दबा लेना ख़ुद के पास
फिर एहसान भी जताना चाहता है इसका
कि उम्मीद से अधिक दिया जा चुका तुमको
जो है, जितना है लो और दस्तखत करो बस
कि मौसम और मन का ठिकाना नहीं कब बदल जाए।
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