तुम रोज़ की तरह इंतज़ार करते मिलते
तो लगता
दिल के किसी खाने में अब तक
प्यार ज़िंदा है, गहरी साँस लेता हुआ
किसी करिश्मे की उम्मीद में
ठहरा हुआ
पर तुम जा चुके थे,
जैसे ठीक नौ बजे किसी स्कूल का
गेट बंद हो जाता है
किसी दफ़्तर के बायोमेट्रिक सिस्टम में
लेट आना दर्ज हो जाता है
उसी तरह
हमारा विदा होना इतना सहज था
कि मुड़ना या ठहरना
या कि देर तक, दूर तलक
पलट-पलट के देखना
असंभव होना मानकर निकल जाए कोई
जैसे ठीक नौ बजे किसी स्कूल का
गेट बंद हो जाता है
किसी दफ़्तर के बायोमेट्रिक सिस्टम में
लेट आना दर्ज हो जाता है
उसी तरह
हमारा विदा होना इतना सहज था
कि मुड़ना या ठहरना
या कि देर तक, दूर तलक
पलट-पलट के देखना
असंभव होना मानकर निकल जाए कोई
दुनिया नश्वर है , मनुष्य भी
यह मान लेने में
अब कोई हर्ज नहीं कि प्रेम भी नश्वर है
कोई सदा के लिए किसी का नहीं होता
मर जाता है प्रेम भी एक दिन
खो जाती हैं सारी अनुभूतियाँ
यह अलग बात है कि
आदतन जुड़ने का दिखावा करते हैं कुछ लोग
यह मान लेने में
अब कोई हर्ज नहीं कि प्रेम भी नश्वर है
कोई सदा के लिए किसी का नहीं होता
मर जाता है प्रेम भी एक दिन
खो जाती हैं सारी अनुभूतियाँ
यह अलग बात है कि
आदतन जुड़ने का दिखावा करते हैं कुछ लोग
प्रेम शब्दों में होता है, रहता है
हथेली में थमी गरम चाय की तरह
इसकी ऊष्णता की भी सीमा होती है
एक रोज़
फेंक देते है इस प्यार को ठंडी चाय की तरह
निकल आते हैं आगे
पिछली सारी तासीर भुलाकर
हथेली में थमी गरम चाय की तरह
इसकी ऊष्णता की भी सीमा होती है
एक रोज़
फेंक देते है इस प्यार को ठंडी चाय की तरह
निकल आते हैं आगे
पिछली सारी तासीर भुलाकर
काश! तुम पलटकर देखते एक बार
दिल के किसी ख़ाने में
प्यार ना सही, भरोसा ज़िंदा बचा रहता
कि अनश्वरता भी है इस दुनिया में।
दिल के किसी ख़ाने में
प्यार ना सही, भरोसा ज़िंदा बचा रहता
कि अनश्वरता भी है इस दुनिया में।
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