रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Thursday, July 5, 2018
रुको भी......
चीख़ रही तन्हाइयाँ पिछली कई रातों से मत जाओ, रुको भी देखो एक बार कितनी अकेली पड़ गई तुम और मैं.. जलते-बुझते जुगनू देख ललिमा भी देखती हूँ रोज़ कुछ बातें सुनकर अनसुना करना आ गया मुझे भी।
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