रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
वाह्ह्ह्... बहुत खूब
बहुत खूब ...आखों का लिखा पढना फिर उँगलियों से बयान करना ...गहरी रचना ...
सुन्दर!!!
सुंदर !
खूबसूरत !
सुंदर भाव ।
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक २९/०३/२०१८ की बुलेटिन, महावीर जयंती की शुभकामनायें और ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Bahut hee khoob surat rachna mam...aap mere blog per bhi sadar amantrit hai...http://swayheart.blogspot.in/2018/03/blog-post.html
ये आंखें भी तो आपकी ही हैं रश्मि जी
अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।
वाह्ह्ह्... बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteआखों का लिखा पढना फिर उँगलियों से बयान करना ...
गहरी रचना ...
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ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक २९/०३/२०१८ की बुलेटिन, महावीर जयंती की शुभकामनायें और ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteBahut hee khoob surat rachna mam...
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ये आंखें भी तो आपकी ही हैं रश्मि जी
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