रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Friday, February 9, 2018
पतझड़ की आहट...
बहुत शोर है हवाओं का सरसरा रहे हैं पत्ते झूम रहे हैं पेड़ सभी धूलों का बवंडर उठ-उठ कर खिड़कियों के रास्ते बिछ रहा कमरे की फ़र्श पर मन भी ज़रा अनमना सा है बताए कोई यह बसंत है या है पतझड़ की आहट....
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, वलेंटाइन डे पर वन विभाग की अपील “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteअभी तो फगुनाहट है
ReplyDeletevaah
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