Tuesday, August 1, 2017

जरा बति‍या लें कुछ....


आओ
जरा बति‍या लें कुछ
आप फेरो
माला मनके की
मैं मन के फेरे लगा लूं
इन खूबसूरत वादि‍यों से
थोड़ी खूबसूरती
यादों में अपन बसा लूं
कलकल नदि‍यों का स्‍वर
अपने भीतर भर लाऊं
ओ दुनि‍यां के छत के वासि‍यों
मैं भी जरा तुम सी
सुंदर हो जाऊं
हि‍मनदि‍या सी छलछल
बहती जाऊं...बहती जाऊं

3 comments:

  1. वादियोंओं में बहुत कुछ है साथ ले लेने को ... मिल कर हांसिल हो जाता है सब ... सुन्दर रचना ...

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  2. वादियों का क्या कहना....खूबसूरत रचना।

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  3. निहायत ही खूबसूरत रचना.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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