Sunday, July 23, 2017

क्या करें हम .....


ल्की-हल्की सी बारिश 
और तनहा यहाँ हम 
ऐसे में तुझको याद न करें
तो और क्या करें हम 

पत्तों पर ठहरी शबनम 
और बूँदों के नीचे ठहरें हम 
इस बयार में तेरा नाम न पुकारें
तो और क्या करें हम 

आसमान जब देता है 
धरती को बारिश की थपकी 
ऐसे में सावन को ना निहारें 
तो और क्या करें हम 

डाकिया बन बूँदे
पहुँचाती है यादों के ख़त
ऐसे में किवाड़ ना खोलें
तो और क्या करें हम 

उमड़ते काले बादलों को देख
नाच उठता है मन-मयूर
ऐसे में ख़ुद को ना सवारें 
तो और क्या करें हम ।

15 comments:

  1. वाह क्या शिद्दत से याद किया है आपने , सुन्दर सरल , और प्रभावी

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 24 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  3. वाह क्या बात है, बहुत खूब!

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  4. बहुत सुन्दर.....
    वाह !!!!

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  5. बेहतरीन भाव संयोजन

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  6. बहुत खूब ... वो हर पल याद आते हैं ... हल लम्हा उन्ही के लिए ...
    भावपूर्ण रचना ...

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  7. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 24 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य" 

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  8. बहुत ही सुन्दर सजीली रचना

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  9. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्मदिवस : मनोज कुमार और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  10. बहुत ही सुंदर और गहरे भाव, शुभकामनाएं.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  11. सुन्दर रचना

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