Sunday, June 18, 2017

पि‍ता


लोरि‍यों में कभी नहीं होते पि‍ता
पि‍ता होते हैं
अाधी रात को नींद में डूबे बच्‍चों के
सर पर मीठी थपकि‍यों में

कौर-कौर भोजन में
नहीं होता पि‍‍‍‍ता के हाथों का स्‍वाद
पि‍ता जुटे होते हैं
थाली के व्‍यंजनों की जुगाड़ में

पि‍ता कि‍स्‍से नहीं सुनाते
मगर ताड़ लेते हैं
कि‍स ओर चल पड़े हमारे कदम
रोक देते हैं रास्‍ता  चट्टान की तरह

पि‍ता होते हैं मेघ गर्जन जैसे
लगते हैं तानाश्‍ाााह
दरअसल होते हैं वटवृक्ष
बाजुओं में समेटे पूरा परि‍वार

जीवन में आने वाली कठि‍नाइयों को
साफ करते हैं पि‍ता
सारी नादानि‍यों को माफ़ करते
आसमान बन जाते हैं पि‍ता

जीवन भर छद्म आवरण ओढे़
नारि‍यल से कठोर होते हैं पि‍ता
एक बूंद आंसू भी
कभी नहीं देख पाता कोई

मगर बेटी की वि‍दाई के वक्‍त
उसे बाहों में भर
कतरा-कतरा  पि‍‍‍‍घल जाते हैं पि‍ता
फूट-फूट कर रोते हुए
आंखों से समंदर बहा देते हैं पि‍‍‍‍ता

7 comments:

  1. बहुत ही सुंदर लिखा प्रत्येक भाव ।

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  2. पिता के मर्म क सार्थक करते भाव ...
    एक पुत्री ही ऐसे भाव पिता में ढूंढ सकती है ... बहुत प्रभावी ...

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व एथनिक दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व एथनिक दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  5. पिता आकाश है ,जिसके बिना बेटी न सिर उठाकर जी सकती है न खुल कर साँस ले पाती है.

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  6. सच तो यह है कि पिता बेटियों के ही होते हैं, बेटियों के जीवन होते हैं
    बेटी के ह्रदय की वास्तविक और भावपूर्ण सच्चाई व्यक्त करती रचना
    बहुत प्रभावी प्रस्तुति

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