Thursday, March 30, 2017

''सरहुल'' की बधाई






'' एला रे सारजम बा
एला रे हाड़ा गुन में
एला रे खुडा़ सांगि‍न 
एला रे नसो रेन में ''
..................................
'' आओ सखुआ के फूल
आओ उतर आओ
आाओ नई-नई कोंपले
आओ उतर आओ ''

प्रकृति‍ पर्व ''सरहुल'' की बधाई सभी को । दो पंक्‍ति‍यां पहले मुंडारी में, फि‍र उसका हि‍ंदी अनुवाद पढ़ें।

6 comments:

महेन्‍द्र वर्मा said...

‘सरहुल’ का सुंदर आवाहन ।
बधाई ।

'एकलव्य' said...

बहुत ख़ूब !

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर।

Unknown said...

सुन्दर शब्द रचना

Onkar said...

बहुत बढ़िया

दिगम्बर नासवा said...

वाह ... मौसम अनुरूप उतर आने का आह्वान ... काव्य चित्र ...