Friday, February 3, 2017

मरणासन्न प्‍यार


बेसब्री से पूछा लड़की ने - क्‍या बोला डॉक्‍टर। दि‍खा आए।

लड़का - हां , कुछ खास  नहीं , एंंजाइटी है। दवा दी है । ज़रा सा बीपी भी बढ़ आया है।

ओके रेस्‍ट करो , ज्‍यादा सोचो नहीं कुछ। लड़की ने आगे कहा। 


लड़का - थैंक्‍यू  


लड़की आश्‍चर्य से.... थैंक्‍स कि‍सलि‍ए

लड़का- हाल पूछा मेरा,  इसलि‍ए  


लड़की - दुश्‍मन हूं क्‍या तुम्‍हारी।

लड़का - पता नहीं क्‍या हो। हजारों बार मेरे मरने की दुआ मांगी है। पलटकर चला गया लड़का। 

लड़की की आंख से आंसू छलक पड़े। अक्‍सर कभी प्‍यार कभी हल्‍की नाराजगी वाली लड़ाई होती थी दोनों में। लड़की चि‍ढ़कर कहती - जा मर जा कहीं, तेेरे साथ नहीं रहना। लड़का हंसकर बोलता- कहां जाऊं। जि‍ऊंगा तेरे साथ, मरूंगा भी तेरे साथ।
एक आह नि‍कली लड़की के मुंह से ..... प्‍यार से कही बात जब कड़वी बातों में बदलने लगे, समझ लो, प्‍यार मरणासन्न है। 

तस्‍वीर - माउंट आबू के शाम की, पि‍छले बरस 

4 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर और प्रभावी लघु कथा...

रश्मि शर्मा said...

धन्यवाद

Swad Sehat said...

खुबसूरत अभिव्यक्ति।

दिगम्बर नासवा said...

कड़वी बातों में Meethapan देख लेना प्रेम भी तो है ... क्यों न प्रेम देखें ...