वहां
दूर पहाड़ के नीचे
ठीक
बादलों के पीछे
एक हरियाला गांव है
जहां
मिट्टी के घर के
आंगन में
तुलसी का एक बिरवा
लगाना चाहती हूं
संग तुम्हारे
घर बसाना चाहती हूं
और तुम
जैसे
युगों से
मेरा हाथ पकड़
चल रहे हो
समानांतर
रेल की पटरी की तरह
क्या
हरे पेड़ और
मिट्टी की खुश्बू
से ज्यादा
रेलगाड़ी की पटरियों सी
जिंदगी
अच्छी होती हैं......।
3 comments:
बहुत सुन्दर रश्मि जी
Dhanywad
Dhanywad yashoda ji
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