''वो खुदा है तो हसरतें मेरी सब जानता होगा
वो देता है क्यों मुझको बस जरूरत भर ही ''
कितने दिन हुए तुमको देखे , तुमको जिए
आओ कि उदासियाें का रंग भी उतरने लगा है
''मैं लम्हा हूं, एक दिन को वक्त की मुट्ठी में कैद
आजादी का ख्वाहिशमंद भी भला यहां काैन है..''
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