Friday, May 20, 2016

छूट गया वो स्‍टेशन.........


उस छोटे से स्‍टेशन पर
भीड़ को धकि‍याते
एक हाथ में अपना ट्राली बैग थामे
बेताब नजरों से
जब भी ढूंढते दि‍खते थे मुझको
मैं छुप जाती थी
तुम्‍हारी नजरों की बेचैनी देख
अनजाना सा सुकून मि‍लता था मुझे।

ट्रेन आने के इंतजार में
मेरे कूपे के नंबर की
बार-बार तसल्‍ली करने के बाद
ठीक दरवाजे के बाहर
टी -स्‍टाल के बगल खड़े होकर
मेरे उतरने का इंतजार करते थे
जी चाहता
सबके उतर जाने के बाद भी
न आऊं नीचे, देखूं तुम्‍हारी बेचैनी

आकुलता से मुझे ढूंढती तुम्‍हारी निगाहें
बेचैनी में चहलकदमी से करते तुम
मुझे बेहद प्‍यारे लगते थे
चाहती थी कैसे भी
चौंका दूं तुमको, लि‍पटूं पीछे से जाकर
या छुप जाऊं, तुम्‍हें आशंकाओं से
थरथराता देखूं फि‍र एक बार

मगर उस छोटे से स्‍टेशन पर
कुछ देर को ही रूकती थी ट्रेन
तुमसे मि‍लकर
लौटना भी तो होता था
मैं अपनी मासूम इच्‍छाओं को
कपार्टमेंट की सीट पर धरकर
कूद कर पहुंचती थी पास
एक धौल जमा पीठ पर
पूरे रूआब से पूछती
कहां थे, इतनी देर से क्‍यों आते हो

तुम अकबकाए से कहते
तुम्‍हें ही तो ढूंढ रहा
सारे यात्री उतर गए, सि‍वा तेरे
मैं हंसकर कहती
तुम मुझी से मि‍लने आते हो न
या यूं ही चले आते हो मेरे बुलाए
ट्रेन के पटरि‍यों को देखने , आदतन

तुम्‍हारी आंख ठहरती मुझ पर
कुछ छलकने को होता
पी जाते थे आंसू,
संभालकर अपनी भर्राती आवाज
कहते, ठीक है अगली बार
मैं नहीं आऊंगा
तुम्‍हारी ट्रेन मुझे देखे बि‍ना नि‍कल जाएगी

मैं अब नि‍:शब्‍द हो
थम सी जाती, चाहती खोल दूं दि‍ल के राज
मगर
कुछ कहने से पहले ही खुल जाती थी ट्रेन
तुम दौड़ते मेरे साथ-साथ
मुझे चढ़ाकर वहीं ठहरते तुम हताश से
मैं मुड़कर देखती
वि‍दा को उठे तुम्‍हारे हाथों की तरफ
आंसू छुपाने की कोशि‍श में
तुुम्‍हारा चेहरा बनता-बि‍गड़ता नजर आता
मैं होठों को दांतो से भींच
जा बैठती अपनी उसी आरक्षि‍त सीट पर

वो ट्रेन
अब भी उस छोटे से स्‍टेशन से
हर तीसरे रोज गुजरती है
पता नहीं अब किसी की बेचैन नि‍गाहें
ढूंढती होगी अब भी उसे
अब मैं
जब भी कि‍सी ट्रेन के सफर में होती हूं
हर स्‍टेशन पर
कोई न कोई कि‍सी न कि‍सी का
इंतजार करता नजर आता है
बस एक तुम नहीं दि‍खते
कि‍सी भी स्‍टेशन पर....।


1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 22 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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