रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Wednesday, February 24, 2016
कैसा लगेगा
जिसे जान माना था अपना
उससे जुदा होकर
कैसा लगेगा
हर धुन, हर साज
और उसकी आवाज
है मेरी जिंदगी
सब होंगे मेरी दुनियां में
बस तू न होगा
सोचकर देख एे दिल
तब जीने में कैसा लगेगा
4 comments:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-02-2016 को चर्चा मंच पर विचार करना ही होगा { चर्चा - 2263 } में दिया जाएगा
धन्यवाद
क्या बात है ..चंद पंक्तियों में ही आपने बहुत सारे प्रश्न छोड़ दिए ....आभार!
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सचिन 200 नॉट आउट और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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