Tuesday, November 10, 2015

(((... शुभ-दीपावली...)))




मन के द्वार
खोल दूं, जो पाऊं तुम्‍हें
चुपचाप खड़े
देहरी पर
एक दीप जलाओ
मेरे मन का अंधकार मि‍टाओ
मन में अपने
रंगोली सजाऊं
जो तेरी पग ध्‍वनि‍ अपने द्वार पे पाऊं

12 comments:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

क्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
आप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
नयी पोस्ट@धीरे-धीरे से

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बेहतरीन सामयिक रचना....
आप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
नयी पोस्ट@धीरे-धीरे से

कविता रावत said...

बढ़िया सामयिक प्रस्तुति
आपको दीप पर्व की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें!

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दीपावली की चित्रावली - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Onkar said...

बेहतरीन

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये।

Onkar said...

बहुत बढ़िया

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 12-11-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2158 पर की जाएगी |
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
धन्यवाद

सु-मन (Suman Kapoor) said...

दीप पर्व मुबारक

Himkar Shyam said...

बहुत सुंदर। दीप पर्व की शुभकामनाएँ।

रश्मि शर्मा said...

Dhnyawad

रश्मि शर्मा said...

Bahut-bahut dhnyawad