रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Thursday, September 24, 2015
एक बूंद....
एक बूंद पड़ी
हरसिंगार के नाजुक फूल पर
फूल सहित बूंद गिर गई टपक कर धरती पर एक आंसू ढलका
आंख से
खो गया दुपट्टे में कहीं लहक रहा है जवाकुसुम
आंगन के पौधे में
दूसरा इन आंखों में
बूंदे
बहुत बदतमीज होती हैं
कभी भी ढलक जाती हैं.........
4 comments:
सुन्दर
अति सुन्दर
बहुत सुंदर
इसलिए ही बूँदें होती हैं ... बिन पैंदी के होती हैं ...
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