क्या है......
कुछ नहीं..बस यूं ही
हवा...बादल..बूंदे....मोगरे...रातरानी...सब तो हैं, पर बूंदो में भीगता नहीं मन....हवाओं में घुली खुश्बू नहीं आती इन दिनों मुझ तक
बादल कुछ नाराज से लगते हैं....जाने क्या चीज लापता है इस क़ायनात से.....कुछ गुम गया है किसी का...हवाओं पर भी इल्जाम है खुश्बुओं की चोरी का...
इस गुमशुदगी का इश्तिहार कौन छापेगा...बादलों को मनाना हमें नहीं आता....गुलमोहर बड़ा उदास सा है।
जाने दो न..ये सब कुछ नहीं..बस यूं ही
6 comments:
कोई चैन चुरा ले गया ....सुन्दर प्रस्तुति
नई पोस्ट नई पीढ़ी ,पुरानी पीढ़ी
सुन्दर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2024 में दिया जाएगा
धन्यवाद
बहुत सुन्दर
एहसासों की खूबसूरत अभिव्यक्ती
बहुत सुंदर
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