जाने कैसी सुबह है
उमसाई सी हवा है
न ठहरते, न बरसते हैं
आशंकाओं से घनेरे
काले बादल हैं
पेड़ों ने शायद
कम कर दिया है
आॅक्सीजन देना
अब सांस घुटी सी है
दमे की मरीज की तरह
हांफ रहे हैं लोग
शहर छोड़ गांव की तरफ
भाग रहे हैं लोग
उमसाई सी हवा है
न ठहरते, न बरसते हैं
आशंकाओं से घनेरे
काले बादल हैं
पेड़ों ने शायद
कम कर दिया है
आॅक्सीजन देना
अब सांस घुटी सी है
दमे की मरीज की तरह
हांफ रहे हैं लोग
शहर छोड़ गांव की तरफ
भाग रहे हैं लोग
शहर के बीचोंबीच लगी
घंटाघर की घड़ी की टिकटिक
बंद हो गई है
चुप हैं सब.....
हवा, धरती, आसमान और
मनुष्य कहलाने वाले जीव
घंटाघर की घड़ी की टिकटिक
बंद हो गई है
चुप हैं सब.....
हवा, धरती, आसमान और
मनुष्य कहलाने वाले जीव
मनु के नौका पर हो जगह
तो तुम भी सवार हो जाओ
पर रूको
जाने से पहले अपना ये चोला
उतार जाओ
छल-प्रपंच अौर झूठ को
इसी धरती पर त्याग जाओ
जाओ एक नई दुनिया सिरजो
जहां तुम जो आज हो
न दिखो वैसा, वो कभी न रहो।
तो तुम भी सवार हो जाओ
पर रूको
जाने से पहले अपना ये चोला
उतार जाओ
छल-प्रपंच अौर झूठ को
इसी धरती पर त्याग जाओ
जाओ एक नई दुनिया सिरजो
जहां तुम जो आज हो
न दिखो वैसा, वो कभी न रहो।
तस्वीर.हमारे फार्म हाउस की
3 comments:
bahut sundar ....sach me hawa ghuti -ghuti si to hai ...
सटीक और सुन्दर प्रस्तुति
bahut sunder prastuti..
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