तेरे ख्यालों वाली ये रात बड़ी गहरी है !!
मेरे पाँव में खाबों की पाजेब सुनहरी है !!
मेरे पाँव में खाबों की पाजेब सुनहरी है !!
जाने कब ओढ़ी थी तेरे प्यार की चुनर,
वक़्त अब बोला ये झीनी है, इकहरी है !!
वक़्त अब बोला ये झीनी है, इकहरी है !!
तुझे अपना तो माना परखा नहीं कभी ,
फरेब औ’वफ़ा के दर्मियाँ जान ठहरी है !!
फरेब औ’वफ़ा के दर्मियाँ जान ठहरी है !!
पशोपेश के दर्द-ऐ-खलिश से नावाकिफ,
मेरी हर नज्म पे तेरे रुख सी दुपहरी है !!
मेरी हर नज्म पे तेरे रुख सी दुपहरी है !!
आबे-आईना हूँ मैं तू फाखिरे–ज़माल सही,
आके देख आँख मेरी अब भी रुपहरी है !!
आके देख आँख मेरी अब भी रुपहरी है !!
सहरा की रेत में सराब सी खामोख्याली,
जम गई बर्फ सी ,वो मन की लहरी है !!
जम गई बर्फ सी ,वो मन की लहरी है !!
तस्सवुर की दास्ताँ खुश्क ‘झरना’ हूँ मैं ,
बादल सा बाँध मुझे तो किस्मत तेरी है !!
बादल सा बाँध मुझे तो किस्मत तेरी है !!
तेरे ख्यालों वाली ये रात बड़ी गहरी है !!
मेरे पाँव में खाबों की पाजेब सुनहरी है !!
मेरे पाँव में खाबों की पाजेब सुनहरी है !!
शब्दार्थ...
पशोपेश - असमंजस
दुपहरी - चमक
रुख - चेहरा
फाखिरे –ज़माल - रूप का अभिमानी
आबे-आईना - दर्पण सी निर्मल
सराब - मरीचिका
लहरी - नदी
दुपहरी - चमक
रुख - चेहरा
फाखिरे –ज़माल - रूप का अभिमानी
आबे-आईना - दर्पण सी निर्मल
सराब - मरीचिका
लहरी - नदी
9 comments:
कल 11/दिसंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
बहुत ख़ूब।
लाजवाब !
विस्मित हूँ !
जाने कब ओढ़ी थी तेरे प्यार की चुनर,
वक़्त अब बोला ये झीनी है, इकहरी है ...
बहुत ही लाजवाब शेर हैं इस ग़ज़ल के ... कुछ कहते हुए ...
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
वाह क्या खूब...... बहोत उम्दा !!!!
वाह ! बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही है ! हर शेर उम्दा है ! हर भाव गहरा है !
मत पूछना कि कैसे गुजरी रातें ये दिन, तेरे बिन !
मान लेना काट दी उम्र ख्वाब की चादर बुनते हुए !!
सुन्दर रचना हेतु बधाई , रश्मिजी,
Khubsurat gazal
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