Friday, December 12, 2014

इक सुबह मेरे साथ चल.....



इक सुबह मेरे साथ चल गीतों के फूल चुनते हुए !!
मैं भी तेरे साथ चल दूंगी खामोश तुझे सुनते हुए !!

तू मंदि‍र के आगे आरती में हाथ जोड़, सर झुका   !
मैं सर ढक लेती हूं अजान की आवाज सुनते हुए  !!

मत पूछना कि‍ कैसे गुजरी रातें ये दि‍न, तेरे बि‍न !
मान लेना काट दी उम्र ख्‍वाब की चादर बुनते हुए !!

चंद लम्‍हों की है फुर्सत भी हर फुरकत से बड़ी  !
मैं जाग उठूंगी नींद के सहरा से रंग चुनते हुए !!

ये तेरे दीद वाली सहर होगी मेरी ईद वाली सहर !
कंपकपाते होंठों से सांसो की सरगम सुनते हुए !!

इक सुबह मेरे साथ चल गीतों के फूल चुनते हुए !!
मैं भी तेरे साथ चल दूंगी खामोश तुझे सुनते हुए !!

तस्‍वीर-साभार गूगल 

5 comments:

  1. गहरे अहसासों से भरी सुंदर प्रस्तुति।

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  2. प्रेम का गहरा एहसास लिए हुए शेर ... लाजवाब लिखा है ...

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