जो लोग मिट्टी के दिए में वर्ष भर भगवान के आगे दीप जलाते हैं...उनके घर से लक्ष्मी कभी दूर नहीं जाती। पर अफसोस कि आजकल हम भारतीय अपने संस्कार से दूर होते जा रहे हैं। एक तो हम पूजा ही नहीं करते, और करते हैं तो धातु के दीपक का इस्तेमाल करते हैं। इस बार मोदी जी ने कहा कि सभी मिट्टी के दीप जलाकर ही दीवाली मनाएं, मुझे बहुत अच्छा लगा। काश लोग इन चीजों का महत्व समझें और अपने संस्कार को जिंदा रखें।
ये मैं नहीं कह रही, ये उस कुम्हार का कहना है जिसके यहां से मैं हमेशा दीपक खरीदती हूं। मुझे पहचानते हैं वो लोग, इसलिए जब भी उनके घर के पास रूकती हूं, वो मुस्करा कर मेरा स्वागत करते हैं और कुछ बातें भी। घर के सामने ही उनकी दुकान भी है। सड़क किनारे। दीपावली के दो महीने पहले से ही उनकी चाक की गति किसी दिन नहीं रूकती। सपरिवार मिट्टी के दीप और खिलौने बनाने में लगे रहते हैं। मुझे उनकी मेहनत के बारे में पता है। इसलिए मैं कभी भाव के बारे में नहीं कहती। वो जो कहते, उन्हें दे देती हूं।
मैं कोशिश करती हूं कि दीपावली में बिजली के झालर के बदले मिट्टी के दीप अधिक से अधिक जलाऊं और उनके बनाए खिलौने जरूर लूं।
क्या आप सभी ऐसा नहीं कर सकते। अधिक से अधिक दीपक खरीद कर जलाइए, इस बहाने हम उनकी मेहनत को नमन करेंगे और लक्ष्मी का स्वागत भी।
आईए इस बार हम मिट्टी के दीप जलाएं और दीपावली मनाएं.....
सभी मित्रों को दीप पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
तस्वीरें..मेरे कैमरे की
5 comments:
आपकी लिखी रचना बुधवार 22 अक्टूबर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आप उनके परिश्रम का सम्मान करते हुए उनसे मोल भाव नहीं करती और आप मिट्टी के दीप की परम्परा को बढ़ाने में भी तन-मन-धन से योगदान कर रही हैं, बहुत सुन्दर। आपको दीप उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपको भी ,..दीप पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
आपको भी ,..दीप पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
बहुत सुंदर बात कही आपने
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