पार्क की बेंच पर
कनेर के पीले फूलों वाले
पेड़ तले
मेरी खुली हथेलियों पर उसने
बड़ी नरमाई से फेरी
अपनी तर्जनी
लिखा हो जैसे
कोई नाम
होंठो पर मुस्कान भर
भवें उठा, आंखों ही आंखों में पूछा
बोलो- क्या लिखा इसमें
मैंने देखा उसका चेहरा
कोमल भाव
होठों के कोरों पर छुपी,
शरारती हंसी
आत्मविश्वास से लबरेज
चमकती आंखों में झांका
जो कह रही थी
वही बोलोगी न तुम, जो मुझे सुनना है
हथेली पर घूमती
उल्टी-सीधी लकीरें खींचती
उसकी ऊंगलियों तले
मैं कुरेदती रही यादों की राख
झांकती रही
उसकी निर्दोष आंखों में
और सुनती रही, सुनी सी,गुम आवाजें
तेरी हथेलियों पर लिख दिया है
मेरे नाम का पहला अक्षर
अब सब कुछ गड्डमड्ड था
ये ही बात..वो ही आवाज
सुना था तो क्या
वो पिछले जन्म की बात थी
मुझ पर ठहरी आंखों का ताब
कैसे सहूं
पकड़कर उसकी और अपनी तर्जनी
उड़ा दिया हवा में
कांपती आवाज को पहनाया
खिलखिलाहट का जामा
कहा-कौआ उड़, तोता उड़, मैना उड़
उसकी आंखें आकाश में थी
अचरज से भरी , पंछियां ढूंढती
और अपने दुपट्टे के कोने से रगड़ रही थी
मैं अपनी हथेली
नाम तो कोई खुदता नहीं हथेली में
स्याही से लिखे थे हर्फ़, मिट ही जाएंगे
खेल-खेल में कई बार
हम तोते के साथ, पेड़ भी तो उड़ा देते हैं...........।
तस्वीर- मेरे कैमरे की
9 comments:
रश्मी जी , अब मै लगभग आपका नियमित पाठक हूं ,आपके लिखने का अंदाज पुराने लीक से हटकर एक अलग ढंग का है । बहुत आहिस्ता आहिस्ता शब्दो को अनोखे शुरूर के साथ लिखती है । आप मूलत: प्रेम की कवयित्री है । असीम प्रेम को शब्दों की सीमा रेखा के पाश मे बांधना सरल तो नही है , परन्तु आपकी लेखनी एक गज़ब का सम्मोहन रखती है , इसे मैं यकीन के साथ कह सकता हूं । आपकी यह कविता मुझे बहुत पसंद आई ।आपका बहुत बहुत ,.शुक्रिया इतनी सुन्दर और मधुर अभिव्यक्ति के लिये ।
नाम तो कोई खुदता नहीं हथेली में
स्याही से लिखे थे हर्फ़, मिट ही जाएंगे
खेल-खेल में कई बार
हम तोते के साथ, पेड़ भी तो उड़ा देते हैं...........।
खूबसूरत भाव, सुन्दर कविता
उसकी आंखें आकाश में थी
अचरज से भरी , पंछियां ढूंढती
ati sundar....
उसकी आंखें आकाश में थी
अचरज से भरी , पंछियां ढूंढती
और अपने दुपट्टे के कोने से रगड़ रही थी
मैं अपनी हथेली
नाम तो कोई खुदता नहीं हथेली में
स्याही से लिखे थे हर्फ़, मिट ही जाएंगे
खेल-खेल में कई बार
हम तोते के साथ, पेड़ भी तो उड़ा देते हैं...........
शानदार शब्द संयोजन..गहन अर्थ।।।
स्नेहिल भाव
आहा....बेहद प्यारी कविता
आभार
मेरे ब्लॉग तक भी आईये ,,अच्छा लगेगारंगरूट
सुंदर रचना
कई नाम उम्र भर रहते हैं साँसों तक .... जाने किस स्याही से लिखे होते हैं ...
बहुत ही गहरी मन को छूती हुयी कलम ...
वाह...सुन्दर और सार्थक पोस्ट...
समस्त ब्लॉगर मित्रों को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@हिन्दी
और@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
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