धोरों खिला कास – फूल”- (भाग –IX)
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आज फिर बेहद उदास थे तुम......जीवन से निराश से........सारा दिन भागदौड़...उपर से सूरज की तेज किरणों का कहर ....पस्त से हो गए थे ....घर लाैटते....
कहा.....घोर निराशा में डूब रहा हूं....कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। इतना थका हूं...कि जी चाह रहा बस पड़ूं और सो जाऊं.....कोई नहीं मेरे पास...इस दुनियां में नितांत अकेला हूं....कोई नहीं जो मरे सर पर हाथ रखे....मुझसे पूछे....कैसा लग रहा है...क्यों परेशान हो....
कोई नहीं मेरा...तुम भी नहीं....एक चिर निद्रा की जरूरत है...जी चाह रहा है सदा के लिए सो जाऊं...
मैं तड़प उठी....जब तुम्हारा ये मैसेज मुझे मिला....महसूस हो गया...आज तुम शरीर से इतने थके हो कि मन भी डूबा-डूबा सा है। तुम्हें जरूरत है एक प्यार भरी थपकी की....दो मीठे बोल..और ...और्....किसी के साथ के प्यारे एहसास की
ओह...अभी लगा मुझे...कि होना चाहिए था तुम्हारे साथ मुझको...ये सच है कि दिल में मेरे भी प्यार है....मैं चाहती हूं कहना.......जताना......पर झिझक जाती हूं....जमाना ऐसा है...मैं कहां हूं......तुम कहां हो...
ये कड़वा सच है कि दिल की दूरी तो पाट ली जाती है...जमाने के बनाए रस्म तोड़े नहीं जा सकते। अगर मुझ पर उंगली न उठाए कोई तो क्या तुम्हें इस हाल में महसूस कर मैं दौड़ी नहीं चली जाऊं....पास तुम्हारे....तुम्हें देखने...संभालने...
मगर जालिम जमाना.....हर रिश्ते को नाम की मुहर लगाने के बाद ही स्वीकारता है.....ये परम सत्य है....कि अभी तुम्हारी दुनियां फकत मैं हूं और मेरी तुम.....मगर हम दोनों के बीच दुनिया है...शाश्वत...सदा से
ये प्रेम का बंधन जितना मजबूत होता है उतना ही कच्चा क्यों है...बोलो न...तुम मेरे लिए तड़प रहे हो...और मैं..दूर खड़ी इस दर्द को महसूस कर आंसू बहा रही हूं.....
ये दूरी कब पाट पाएंगे हम....बोलो न..कब कहूंगी मैं तुमसे...आओ....मेरी गोद में सर रखो...मैं सहला दूं माथा....चूम लूं झुककर...सबके सामने...
क्योंकि तुम मेरे हो...मैं तुम्हारी...सिर्फ तुम्हारी...
my photography.......
3 comments:
कमाल के भावुक शब्द हैं जिनसे ओंठ ही लडखडा जाऐ .........
दिल की भावनाओं को बिलकुल उधेड़ कर ही रख दिया है,यह सच है रस्म तोड़े तोड़े नहीं जाते ,पर इस दुनिया में रस्म निभाना बहुत जटिल है खूबसूरत भावपूर्ण कृति
कोमल भावनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति
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